१.
पल पल तरसे थे उस पल के लिए ,
मगर यह पल आया भी तो कुछ पल के लिए ,
सोचा था उसे ज़िन्दगी का एक हसीं पल बना लेंगे ,
पर वो पल रुका भी तो बस एक पल के लिए
२.
हर पल पे तेरा ही नाम होगा ,
तेरे हर कदम पे दुनिआ का सलाम होगा
मुशिकिलो का सामना हिम्मत से करना ,
देखना एक दिन वक़्त भी तेरा गुलाम होगा
३.
कहीं पर धरम बनते हैं , कहीं पर इमां बनते हैं ,
कहीं पर हिन्दू ,सिख ,ईसाई
तो कहीं मुसलमान बनते हैं ,
हमारी महफ़िल मैं आकर देख ऐ "साकी "
यहां तो बस इंसान ही इंसान बनते हैं .
४.
नज़र को बदलो तो नज़ारे बदल जाते है ,
सोच को बदलो तो सितारे बदल जाते है ,
कश्तियाँ बदलने की जरुरत नहीं ,
दिशा को बदलो तो किनारे बदल जाते है .
५ .
शाम सूरज को ढालना सिखाती है ,
शमा परवाने को जलना सिखाती है
गिरने वाले को होती तो है तकलीफ ,
पर ठोकर इंसान को चलना सिखाती है
पल पल तरसे थे उस पल के लिए ,
मगर यह पल आया भी तो कुछ पल के लिए ,
सोचा था उसे ज़िन्दगी का एक हसीं पल बना लेंगे ,
पर वो पल रुका भी तो बस एक पल के लिए
२.
हर पल पे तेरा ही नाम होगा ,
तेरे हर कदम पे दुनिआ का सलाम होगा
मुशिकिलो का सामना हिम्मत से करना ,
देखना एक दिन वक़्त भी तेरा गुलाम होगा
३.
कहीं पर धरम बनते हैं , कहीं पर इमां बनते हैं ,
कहीं पर हिन्दू ,सिख ,ईसाई
तो कहीं मुसलमान बनते हैं ,
हमारी महफ़िल मैं आकर देख ऐ "साकी "
यहां तो बस इंसान ही इंसान बनते हैं .
४.
नज़र को बदलो तो नज़ारे बदल जाते है ,
सोच को बदलो तो सितारे बदल जाते है ,
कश्तियाँ बदलने की जरुरत नहीं ,
दिशा को बदलो तो किनारे बदल जाते है .
५ .
शाम सूरज को ढालना सिखाती है ,
शमा परवाने को जलना सिखाती है
गिरने वाले को होती तो है तकलीफ ,
पर ठोकर इंसान को चलना सिखाती है
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